Facts About Shodashi Revealed
Wiki Article
The working day is observed with wonderful reverence, as followers visit temples, provide prayers, and get involved in communal worship functions like darshans and jagratas.
ह्रीं श्रीं क्लीं परापरे त्रिपुरे सर्वमीप्सितं साधय स्वाहा॥
ध्यानाद्यैरष्टभिश्च प्रशमितकलुषा योगिनः पर्णभक्षाः ।
कन्दर्पे शान्तदर्पे त्रिनयननयनज्योतिषा देववृन्दैः
Shiva following the Loss of life of Sati experienced entered right into a deep meditation. With out his Power no development was attainable and this brought about an imbalance within the universe. To convey him out of his deep meditation, Sati took start as Parvati.
ऐसा अधिकतर पाया गया है, ज्ञान और लक्ष्मी का मेल नहीं होता है। व्यक्ति ज्ञान प्राप्त कर लेता है, तो वह लक्ष्मी की पूर्ण कृपा प्राप्त नहीं कर सकता है और जहां लक्ष्मी का विशेष आवागमन रहता है, वहां व्यक्ति पूर्ण ज्ञान से वंचित रहता है। लेकिन त्रिपुर सुन्दरी की साधना जोकि श्री विद्या की भी साधना कही जाती है, इसके बारे में लिखा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण एकाग्रचित्त होकर यह साधना सम्पन्न कर लेता है उसे शारीरिक रोग, मानसिक रोग और कहीं पर भी भय नहीं प्राप्त होता है। वह दरिद्रता के अथवा मृत्यु के वश में नहीं जाता है। वह व्यक्ति जीवन में पूर्ण रूप से धन, यश, आयु, भोग और मोक्ष को प्राप्त करता है।
You should convey to me such yoga which often can give salvation and paradise (Shodashi Mahavidya). You might be the one theologian who can give me the whole information in this regard.
Over the sixteen petals lotus, Sodhashi, Shodashi who is the form of mother is sitting with folded legs (Padmasana) eliminates the many sins. And fulfils all of the wishes with her 16 types of arts.
This Sadhna evokes innumerable rewards for all spherical financial prosperity and stability. Expansion of company, name and fame, blesses with extended and prosperous married everyday living (Shodashi Mahavidya). The outcomes are realised quickly once the accomplishment with the Sadhna.
॥ अथ श्री त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः ॥
यह देवी अत्यंत सुन्दर रूप वाली सोलह वर्षीय युवती के रूप में विद्यमान हैं। जो तीनों लोकों (स्वर्ग, पाताल तथा पृथ्वी) में सर्वाधिक सुन्दर, मनोहर, चिर यौवन वाली हैं। जो आज भी यौवनावस्था धारण किये हुए है, तथा सोलह कला से पूर्ण सम्पन्न है। सोलह अंक जोकि पूर्णतः का प्रतीक है। सोलह की संख्या में प्रत्येक तत्व पूर्ण माना जाता हैं।
केयं कस्मात्क्व केनेति सरूपारूपभावनाम् ॥९॥
वन्दे वाग्देवतां ध्यात्वा देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥१॥
Shodashi also means sixteen as well as perception is the fact that within the age of sixteen the Bodily system of a individual attains perfection. Deterioration sets in immediately after sixteen many years.